
सूरजपुर। न्यूज डेस्क – सूरजपुर नगरपालिका क्षेत्र में इन दिनों एक अलग ही सरकार चल रही है जिसका नाम है “पोस्टर राज‘” हर बिजली का खंभा, हर चौराहा, हर सरकारी दीवार अब नेताओं के चेहरे और दुकानों के पोस्टर से पटा पड़ा है। ऐसा लगता है सूरजपुर शहर नहीं, कोई चलती फिरती ‘फ्लैक्स नगरी’ बन गई हो,यही वजह है कि शासकीय खंभों पर कब्जा कर लिया है बधाई संदेशों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और झूठे दावों वाले पोस्टरों ने आप जैसे ही सूरजपुर में एंट्री करिए, लगेगा आप किसी प्रचार-प्रचार मेले में आ गए हैं,और ये मेला है ‘बिना अनुमति’ के।
क्या जिले के अधिकारियों का नहीं पड़ता इसमें नजर,,
वही सूरजपुर शहर में जिले के कलेक्टर सहित जिले के सभी जिम्मेदार अधिकारी दिन भर में कई बार शहर का चक्कर अपनी महंगी गाड़ियों में बैठ कर लगाते हैं और ऐसा नहीं है कि अधिकारी इन पोस्टों को नहीं देख पाते लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि अगर अधिकारियों की नजर इन अवैध पोस्टर हुडिंग पर पड़ती है फिर क्यों सभी अधिकारी अपनी आंखे बंद कर बैठे है इसे लापरवाही कहें या किसी खास चेहरे का ‘आदेश’?
पालिका क्यों बनी कागज़ी शेर?बना चर्चा का विषय
शहर में एक चर्चा प्रतिदिन होता की क्या नगरपालिका को किसी बड़े नेता का डर है? या फिर पोस्टरबाजों की जेब में बैठी है कार्रवाई करने वाली कलम? नियम कहते हैं कि बिना अनुमति पोस्टर लगाना जुर्म है मगर सूरजपुर में तो कानून भी पोस्टरों की छांव में सोता दिख रहा है।
खंभा नहीं मौत का न्यौता बन गए हैं ये प्रचार बैनर पोस्टर
शहर के मुख्य मार्गों पर ऐसे फ्लैक्स और पोस्टर लगाए गए हैं जो चलते वाहन चालकों का ध्यान भटका देते हैं। कई बार तो बाइक सवार पोस्टर पढ़ते-पढ़ते सीधे खंभे से भिड़ गए। और कई बार सड़क दुर्घटनाएं इन पोस्ट बैनरों की वजह से होती है बावजूद इसके जिले के कलेक्टर, नगर पालिका सीएमओ, और यातायात अधिकारी अपनी आंखें बंद कर ली है अगर इन पोस्ट की वजह से कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा या उस वक्त प्रशासन नींद से उठेगी और मौत के बाद कार्रवाई करेगी,
खंभों में नगर पालिका अध्यक्ष का चेहरा मुस्कुराते हुए
जहां एक ओर शासकीय होडिंग और दुकानों के पोस्टर लगे हैं तो वही सबसे बड़ी बात है कि उन शासकीय खाबो में नगर पालिका के नवनिर्वाचित अध्यक्ष का भी पोस्ट लगा हुआ है इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब नगर पालिका में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अवैध रूप से अपनी ही पोस्टर लगाकर रखेंगे तो शहर की व्यवस्था कैसे सुधरेगा और दूसरों पर कार्यवाही कैसे होगी किसी ने क्या खुब कहा है हर गुनाह की सजा कबूल है हमें बस सजा देने वाला बेगुना हो ऐसा लगता है यह लाइन पालिका में बैठे उन जिम्मेदारों के लिए ही बनी है