
सूरजपुर( न्यूज डेस्क) – के लाईव केयर अस्पताल में हाल ही में हुई एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसने स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पताल परिसर में निष्ठा और जिम्मेदारी की धज्जियां उड़ाकर रख दी है। इस घटना ने न केवल आम जनता के बीच चिंता और भय की लहर फैला दी है, बल्कि शासन और प्रशासन के खिलाफ भी गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।
मामला इतना बड़ा और आश्चर्यजनक है कि मरीजों की जान और स्वास्थ्य के साथ हुए खिलवाड़ पर चुप रहना संभव नहीं रहा। जानकारी के अनुसार, इस अस्पताल की लाइफ सेविंग एंबुलेंस का उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के स्थान पर एक व्यवसायिक निर्माण सामग्री परिवहन वाहन के रूप में किया जा रहा है। यह बात न सिर्फ जाइज चिंता का विषय है, बल्कि इसकी गम्भीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब कैमरे ने इस पूरे घटनाक्रम को अपने कैप्चर में ले लिया है।
कैमरे में स्पष्ट देखा जा सकता है कि अस्पताल की एंबुलेंस में ईंट निर्माण सामग्री लोड की जा रही है, जो दिखाता है कि उनसे मरीजों को लेकर जाने की बजाय, इन वाहनों का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में भी किया जा रहा है। इस तरह का निंदनीय कृत्य नियमों को पूरी तरह से ध्वस्त करता है और यह स्पष्ट करता है कि अस्पताल प्रशासन और कर्मचारी लापरवाही की जड़ों में शामिल हैं। इतना ही नहीं, यह दर्शाता है कि अस्पताल के कर्मचारी अस्पताल की सेवा भावना को तुच्छ समझ कर नियम-कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।
बता दें कि यह पूरा मामला सूरजपुर के लाईव केयर अस्पताल का है, जहां अवैध रूप से मरीजों को इलाज के लिए भेजने के बजाय, एंबुलेंस का दुरुपयोग कर अपने हॉस्पिटल के निर्माण सामग्री का परिवहन किया जा रहा है। इससे न केवल अत्यंत आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है, बल्कि मरीजों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल की नैतिक जिम्मेदारी से जुड़ा है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि नियमों का पालन न करके प्राथमिकताओं को सुरक्षित करने वाली संस्थान अपने उद्देश्यों से भटक गई हैं। इससे जुड़ी रिपोर्ट् तेजी से सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में फैलने लगी हैं, जिससे आम जनता में आक्रोश और नराजगी व्याप्त है।
प्रशासन से यह उम्मीद की जा रही है कि इस गंभीर लापरवाही का तुरंत संज्ञान लिया जाए और संबंधित अस्पताल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया जाए कि वे अपने कर्मचारियों को कानून का पालन करने की शिक्षा दें और इस तरह की घटना दोबारा न हो, इसकी दिशा में गंभीर कदम उठाए जाएं।
अंत में, यह घटना एक बड़ा संकेत है कि जब तक स्वास्थ्य सेवाओं में सरकार और प्रशासन की सख्त निगरानी और सक्रियता नहीं बढ़ाई जाएगी, तब तक सामाजिक स्वास्थ्य और सुरक्षा का मामला असुरक्षित ही रहेगा। मरीजों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए, अस्पतालों में नियमों का कठोर अनुपालन सुनिश्चित कराना आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का दोहराव न हो और सभी को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकें।